NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 तुम कब जाओगे,अतिथि

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 तुम कब जाओगे,अतिथि

निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर एक -दो पंक्तियों में दीजिये

उत्तर -1 अतिथि लेखक के निवास पर चार दिन से भी अधिक समय से ठहरा हुआ है।

उत्तर -2 कैलेंडर की तारीखें शांति से अपनी जगह पर हिल रही थीं।

उत्तर – 3 पति ने प्यार से मुस्कराते हुए गले लगाया और पत्नी ने आदरपूर्वक नमस्ते कर के मेहमान का स्वागत किया।

उत्तर -4 दोपहर के भोजन को भव्य रूप देकर उसे ‘लंच’ की गरिमा प्रदान की गई।”

उत्तर -5 तीसरे दिन, प्रस्थान से पूर्व, अतिथि ने कहा — “यदि धोबी से कपड़े दिलवा सकें, तो कृपा होगी।”

उत्तर -6 सत्कार की गरमाहट जैसे ही थमी, भोजन में भी बदलाव दिखाई देने लगा — अब लंच और डिनर की जगह सादगी से भरी खिचड़ी परोसी जा रही थी। माहौल में अपनत्व की मिठास घटने लगी थी, और यदि अतिथि अभी भी न जाते, तो शायद उपवास की नौबत आ जाती। जहाँ पहले ठहाके गूंजते थे, वहाँ अब एक संकोची चुप्पी पसरी थी। सौहार्द धीरे-धीरे ठहराव और थकावट में बदलता जा रहा था।

लिखित

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25 -30 )शब्दों में लिखिए –

उत्तर -1 .लेखक अतिथि को सम्मान और आत्मीयता से विदा करना चाहता था। उसकी इच्छा थी कि अतिथि जब लौटे, तो पति-पत्नी साथ चलकर उसे स्टेशन तक छोड़ें, जिससे विदाई का क्षण और भी भावपूर्ण बन सके। उन्होंने अतिथि के प्रति आदरभाव से भरी विदाई देने की कल्पना की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

उत्तर -लेखक जब देखता है कि अनचाहे अतिथि आ रहे हैं, तो उसे समझ में आता है कि अब अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा — खाने-पीने, आवभगत, आदि की व्यवस्था करनी होगी।

  • इस स्थिति में, “बटुए का काँपना” केवल पैसों की हानि नहीं, बल्कि उस मानसिक तनाव को दर्शाता है

उत्तर- हर व्यक्ति अपने घर को एक शांत, सुखद और समरस वातावरण बनाये रखना चाहता है — एक ऐसा ‘स्वीट होम’, जहाँ आराम और अपनापन हो। लेकिन जब कोई अनचाहा अतिथि बिना अपेक्षा के आ धमकता है, तो वह इस मिठास में कड़वाहट घोल देता है। उसकी उपस्थिति से असुविधाएँ जन्म लेती हैं — दिनचर्या बाधित होती है, संवादों में तनाव आता है और मन की शांति डगमगाने लगती है। उनका व्यवहार ऐसा होता है कि घर की सहजता और सरसता क्षीण हो जाती है, और घरेलू सुख शांति एक संघर्ष में बदलने लगती है।

उत्तर -जब कोई अतिथि एक-दो दिन के लिए आता है, तो उसका स्वागत देवता के समान होता है — आदर, प्रेम और स्नेह से भरा। परंतु जब वही अतिथि अपेक्षा से अधिक दिनों तक ठहरता है, तो उसकी देवत्व की आभा मंद पड़ने लगती है और वह धीरे-धीरे राक्षसत्व का आभास कराने लगता है। लेखक के घर में यह अतिथि पहले ही चार दिन ठहर चुका था। यदि वह कल, पाँचवें दिन भी विदा न हुआ, तो लेखक की सहर्षता सहनशीलता में बदल जाएगी, और उसकी जुबान से कोई अप्रिय शब्द फिसलने की संभावना बन जाएगी — तब ‘अतिथि देवो भवः’ केवल एक पुरानी कहावत बनकर रह जाएगी।”

उत्तर -अतिथि के चार दिन तक लगातार घर पर बने रहने से वातावरण में एक सूक्ष्म लेकिन गहरा बदलाव आने लगा। सौहार्दपूर्ण मुस्कानें अब औपचारिक मौन में बदल चुकी थीं। बातचीत के विषय जैसे समाप्त हो गए थे — और जहाँ पहले हास्य था, अब केवल खिंचाव रह गया था। रिश्तों की मिठास में धीरे-धीरे कड़वाहट घुलने लगी, और सत्कार की वह उष्मा, जो पहले दिन चाय-नाश्ते से शुरू हुई थी, अब खिचड़ी तक पहुँच गई थी। अंततः लेखक ने मानसिक रूप से उपवास तक की तैयारी कर ली थी — ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अगला कदम ‘गेट आउट’ कह देना ही हो।

उत्तर संबंधों का संक्रमण का दौर” दरअसल उन बदलते भावनात्मक क्षणों की व्याख्या करता है, जब आत्मीयता का स्थान धीरे-धीरे असहजता ले लेती है। लेखक के अनुभव में यह स्पष्ट होता है—जब एक अतिथि उनके घर आता है तो स्वागत सत्कार अत्यंत आनंदपूर्वक किया जाता है। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद लेखक उसे भव्य डिनर कराता है, सिनेमा दिखाने ले जाता है, और आत्मीयता का प्रदर्शन करता है। परंतु जैसे-जैसे वह अतिथि अधिक समय तक रुकता है, संबंधों की प्रकृति बदलने लगती है। वही आत्मीयता अब बोझिल लगने लगती है। सौहार्द की गर्माहट ठंडी पड़ जाती है—डिनर की जगह सादी खिचड़ी परोसने की नौबत आ जाती है। अतिथि के जाने की प्रतीक्षा होने लगती है और यही संक्रमण की वह अवस्था है जिसमें मधुर संबंध तिरस्कार की ओर अग्रसर हो जाते हैं।”

उत्तर –


जब अतिथि लगातार चार दिन तक लेखक के घर रुका, तो प्रारंभिक सौहार्द धीरे-धीरे असहजता में परिवर्तित होने लगा। मुस्कान भरी बातचीत अब ठंडी शिष्टता में बदल गई और संवाद का उल्लास समाप्त हो गया। सौजन्य से भरा व्यवहार धीरे-धीरे ऊब और क्लांतता में ढलने लगा। जो संबंध पहले मिठास से भरे थे, वे अब कड़वाहट की ओर बढ़ चले। सत्कार की गर्माहट ठंडी पड़ गई—भव्य डिनर की जगह सादी खिचड़ी ने ले ली। यह स्थिति इस बात का संकेत बन गई कि अब अतिथि के जाने का समय आ पहुँचा है। लेखक के मन में यहाँ तक विचार आने लगे कि यदि स्थिति यूँ ही बनी रही, तो वह उपवास कर लेने को भी तैयार हो जाएगा। भीतर ही भीतर वह अतिथि से स्पष्ट शब्दों में ‘गेट आउट’ कहने की मानसिक तैयारी करने लगा।


भाषा अध्ययन

1. निम्नलिखित शब्दों के दो -दो पर्याय लिखिए –
चाँद ,जिक्र ,आघात ,ऊष्मा ,अंतरंग

2 .निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –

(क ) हम तुम्हे स्टेशन छोड़ने जाएंगे| (नकारात्मक वाक्य )

(ख )किसी लॉण्ड्री पर दे देते है ,जल्दी धूल जाएंगे |( प्रश्नवाचक वाक्य )

(ग ) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी |( भविष्यत काल )

(घ ) इनके कपड़े देने है (स्थानसूचक प्रश्नवाची )

(ड़ ) कब तक टिकेंगे ये ? (नकारात्मक )

पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना ‘क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए –
(क ) तुम अपने भारी चरण -कमलों की छाप मेरी जमीं पर अंकित कर चुके |

(ख ) तुम मेरी काफी मिट्टी खोद चुके |

(ग ) आदर -सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे |

(घ ) शब्दों का लेन देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए |

(ड़ ) तुम्हारे भारी -भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो |

निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम ‘के प्रयोग पर ध्यान दीजिए

(क )लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो –

(ख ) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे -धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है |

(ग )तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी |

(घ ) कल से मै उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो |

(ड )भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही है ,पर तुम नहीं जा रहे |

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