NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 रैदास पद (2025-26)

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 रैदास पद (2025-26)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

उत्तर -1

  • भगवान चंदन हैं, भक्त पानी।
  • भगवान जंगल हैं, भक्त मोर।
  • भगवान चाँद हैं, भक्त चकोर।
  • भगवान दीपक हैं, भक्त बाती।
  • भगवान मोती हैं, भक्त धागा।

उत्तर -2

  • चंदन के साथ तुकांत शब्द — जल
  • घन के साथ — मन
  • चाँद के साथ — ताँद
  • दीपक के साथ — बिखक
  • मोती के साथ — बुनती

उत्तर -3 बिलकुल! यहाँ पहले पद में से अर्थ की दृष्टि से परस्पर जुड़े हुए शब्दों को छाँटकर लिखा गया है:

  • दीपक — बाती
  • चंदन — पानी
  • घन — मोर
  • चाँद — चकोर
  • मोती — धागा

उत्तर -4 दूसरे पद में कवि ने भगवान को ‘गरीब निवाजु’ कहकर पुकारा है। इस शब्द से यह स्पष्ट होता है कि भगवान उन लोगों पर विशेष कृपा करते हैं जो निर्धन, असहाय और कठिन परिस्थितियों में होते हैं। वे दयालु हैं और जरूरतमंदों की मदद करना उनका स्वभाव है। कवि इस विशेषता के माध्यम से भगवान की करुणा और सहानुभूति को उजागर करता है।

उत्तर -5 इस पंक्ति का भाव यह है कि जिस इंसान पर भगवान की कृपा होती है, उसकी गलतियाँ और कमजोरियाँ भगवान स्वयं ठीक कर देते हैं। वे उसकी भूलों को क्षमा करते हैं और यह ध्यान रखते हैं कि उसका कोई नुकसान न हो या उसकी कमी दुनिया के सामने न आए। भगवान अपने भक्त की रक्षा करते हैं और उसे संभालते हैं।

उत्तर -6 रैदास जी ने भगवान को इन नामों से पुकारा:

  • चंदन — जो ठंडक और खुशबू देता है
  • घन — जो बारिश लाता है
  • चाँद — जो रोशनी और शांति देता है
  • दीपक — जो अंधेरे में उजाला करता है
  • मोती — जो कीमती और सुंदर होता है

उत्तर -7 बिलकुल! नीचे दिए गए शब्दों के प्रचलित (मानक) रूप प्रस्तुत हैं:

अप्रचलित / लोक रूपप्रचलित / मानक रूप
मोरामेरा
चंदचाँद
बातीबाती / बत्ती
जोतिज्योति
बरैबरस / वर्ष
रातिरात
छत्रुशत्रु
धरैधारण करता है / रखता है
छोतिचोट
तुहितुम ही
गुसईआस्वामी / प्रभु / ठाकुर

(क ) जाकी अँग-अँग बास समानी
(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा
(ग) जाकी जोति बरै दिन राती
(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(ङ) नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

उत्तर -8

(क)
इस पंक्ति का भाव है कि जिस व्यक्ति के शरीर के प्रत्येक अंग में भगवान की सुगंध समा गई हो, वह सच्चा भक्त होता है। यहाँ “बास” केवल भौतिक सुगंध नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा और उपस्थिति का प्रतीक है, जो उस व्यक्ति के सम्पूर्ण अस्तित्व में व्याप्त है। ऐसा भक्त भक्ति-रस में पूर्णतः निमग्न रहता है।

(ग)
इस पंक्ति का भाव यह है कि जिस व्यक्ति के भीतर प्रभु की ज्योति — अर्थात भक्ति का दिव्य प्रकाश — दिन-रात स्थिर रूप से प्रकाशित रहता है, वह हर क्षण प्रभु के प्रेम और भक्ति में डूबा रहता है। ऐसे भक्तों के हृदय में ईश्वर की उपस्थिति निरंतर बनी रहती है, जो उन्हें आध्यात्मिक रूप से प्रकाशित करती है।

(ङ)
इस पंक्ति का भाव है कि प्रभु गोबिंद (कृष्ण) इतने दयालु और शक्तिशाली हैं कि वे किसी भी नीच को ऊँच बना सकते हैं। वे किसी से हीन नहीं हैं और न ही किसी को हीन मानते हैं। उनकी कृपा सामाजिक पद, जाति या स्थिति की सीमाओं से परे है — वे सबको समान रूप से अपनाते हैं और हर किसी को दिव्यता प्रदान करने में सक्षम हैं।

उत्तर -9

पहले पद का केंद्रीय भाव:
रैदास जी के लिए राम का नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि उनके जीवन का सार बन चुका है। उन्होंने राम को अपने हृदय में इस प्रकार बसाया है कि अब राम और रैदास में कोई भेद नहीं रह गया। यह पद उनके पूर्ण समर्पण, अनन्य भक्ति और आत्मिक एकता को दर्शाता है — जहाँ भक्त और भगवान एक हो जाते हैं।

दूसरे पद का केंद्रीय भाव:
इस पद में रैदास प्रभु की करुणा और सर्वशक्तिमत्ता का गुणगान करते हैं। वे कहते हैं कि ईश्वर दीनों के दयालु हैं, जो बिना भेदभाव के सबको अपनाते हैं। उनकी कृपा से समाज में तुच्छ समझे जाने वाले व्यक्ति भी ऊँच स्थान प्राप्त कर सकते हैं। प्रभु ही सच्चे उद्धारकर्ता हैं, जो निर्भय होकर सबकी रक्षा और सहायता करते हैं।

योग्यता -विस्तार

(1 ) भक्त ,कवि कबीर ,गुरु नानक ,नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए

उत्तर – भक्त ,कवि कबीर ,गुरु नानक ,नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए |यहाँ भक्त कवि कबीर, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की प्रमुख रचनाओं का संकलन प्रस्तुत है, जो भारतीय भक्ति आंदोलन की अमूल्य धरोहर हैं:

🕉️ कबीर दास

  • भाषा: सधुक्कड़ी, ठेठ हिंदी
  • मुख्य रचनाएँ:
    • बीजक – तीन भागों में विभाजित:
      • साखी (नीति और उपदेशपरक दोहे)
      • सबद (भजन और पद)
      • रमैनी (लंबी कविताएँ)
    • प्रसिद्ध दोहे: “बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
      जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥”

🛕 गुरु नानक देव

  • भाषा: पंजाबी, ब्रज, फारसी, सधुक्कड़ी
  • मुख्य रचनाएँ:
    • जपुजी साहिब – सिखों की प्रातःकालीन प्रार्थना
    • सोहिला, आरती, आसा दी वार – गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित
    • प्रसिद्ध पंक्ति: “एक ओंकार सतनाम, करता पुरख…”

🙏 संत नामदेव

  • भाषा: मराठी एवं हिंदी
  • मुख्य रचनाएँ:
    • अभंग – भक्ति गीतों का संग्रह
    • गुरु ग्रंथ साहिब में 61 पद संकलित
    • प्रसिद्ध भजन: “नामदेव का कहना है, मन मंदिर में राम बसे।”
  • भाषा: राजस्थानी, ब्रज, हिंदी
  • मुख्य रचनाएँ:
    • मीरा पदावली – कृष्णभक्ति से ओतप्रोत पदों का संग्रह
    • प्रसिद्ध पद: “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।”
      “मैं तो साँवरे के रंग रची…”

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