NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 कबीर की साखियाँ are part of NCERT Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 कबीर की साखियाँ .
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 कबीर की साखियाँ .
NCERT Solutions for Hindi Class 8 Chapter 7 Hindi – FREE PDF Download
पाठ -7 कबीर की साखिया
प्रश्न -1 ‘तलवार का महत्व होता है म्यान का नहीं ‘-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते है ? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर -1
तलवार का महत्व होता है ,म्यान का नहीं इससे कबीर का तात्पर्य यह है कि जिस चीज की आवयश्कता होती है उसी का महत्व भी होता है किसी और बनावटी वस्तु का कोई महत्व नहीं होता इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति की पहचान और उसका मोल हमे उसकी अच्छाइयों को देखकर तय करना चाहिए न कि उसकी जाति धर्म से इसी प्रकार भी हमें ईश्वर का भी यथार्थ ज्ञान जरुरी है ढ़ोग -घूर्त पाखंडी बहरूपिया तो सभी म्यान के समान व्यर्थ है असली ब्रहम ज्ञान को पहचानों और उसी को परिग्रह करो |
प्रश्न -2 पाठ की तीसरी साखी -जिसकी एक पंक्ति है ‘ मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरैं ,यह तो सुमिरन नाहि ‘के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते है ?
उत्तर -2
मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरैं यह तो सुमिरन नाहि ‘कबीर दास जी इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते है कि ईश्वर कि भक्ति हमे स्थिरचित होकर करनी चाहिए | हमारा मन इधर उधर चारों दिशाओं में भटक रहा है और हम माला फेरकर ईश्वर की भक्ति का दिखावा कर रहे है तो वह सच्ची भक्ति नहीं है
प्रश्न -3 कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते है | पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
उत्तर -3
कबीर अपने दोहे में घास की निंदा करने से इसलिए मना करते है व्यक्ति उस समय अभिमान के कारण उस वस्तु के गुणों पर ध्यान नहीं दे पाता या उसकी विषेशतााओ को भूल जाता है जैसे – घास के छोटे छोटे तिनको को मनुष्य अपने पैरों तले कुचलता है यह भूल जाता है कि यही तिनका उसकी आंख में पड़कर उसके लिए कष्टकारी बन सकता है
प्रश्न -4 मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते है | यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है ?
उत्तर -4
जग में बैरी कोई नहीं ,जो मन शीतल होय |
या आपा को डारि दे ,दया करेँ सब कोय |
पाठ से आगे –
प्रश्न -5 ”या आपा को डारि दे ,दया करेँ सब कोय | ”
”ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय | ”
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा ‘ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है | ‘आपा ‘किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है ? क्या ‘आपा ‘ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का ?
उत्तर -5
या आपा को। ……आप खोय इन दो पंक्तियों में आपा को छोड़ देने की बात की गई है | यहाँ आपा अहंकार के रूप में प्रयुक्त हुआ है यहाँ आपा घमंड का अर्थ देता है ?
प्रश्न -6 आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में कोई अंतर हो सकता है ? स्पष्ट करें |
उत्तर -6
आपा और आत्मविश्वास तथा आपा और उत्साह में अंतर स्पष्ट
1 -आपा और आत्मविश्वास – आपा का अर्थ है घमंड जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है स्वंय पर भरोसा करना |
2 -आपा और उत्साह – आपा का अर्थ है घमंड अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ है उमंग ,जोश |
प्रश्न -7 सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते -सुनते हैं पर एक समान विचार नहीं रखते | सभी अपनी- अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते है | पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते है एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है ? लिखिए |
उत्तर -7
समाज में सभी मनुष्यों को एक सामान होने के लिए सभी की सोच एक समान होनी आवश्यक है |
आवत गारी एक है,उलटत होइ अनेक |
कह कबीर नहि उलटिए ,वही एक की एक |
प्रश्न -8 कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है ? ज्ञात कीजिए |
उत्तर -8
कबीर के दोहो को साखी इसलिए कहा जाता है क्यूकि इसमें श्रवणकर्ता को गवाह बनाकर प्रत्यक्ष ज्ञान दिया गया है कबीर समाज में फैली ,कुर्रीतियाँ ,भेदभाव , जातिवाद ,और ब्राह्मा आडम्बरों को इस ज्ञान द्वारा समाप्त करना चाहते थे |
प्रश्न -9 बोलचाल की क्षेत्रीय की विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बन जाता है | मन से मनवा ,मनुवा आदि हो जाता है | उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है | नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे है उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो |
ग्यान ,जीभि ,पाऊँ , तलि ,आँखि ,बरी |
उत्तर -9
ग्यान -ज्ञान
जीभि -जीभ
पाऊँ -पाँव
तलि -तले
आँखि -आँख
बरी -बड़ी