NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू | NCERT Question and Answer for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू.

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

उत्तर -1 लेखिका जब सोनजुही की पीली कली देखती हैं, तो उनके मन में गिल्लू की यादें उमड़ आती हैं। उन्हें लगता है कि गिल्लू, जिसे उसी स्थान पर मिट्टी में दबाया गया था, अब प्रकृति में विलीन हो चुका है। वे यह सोचती हैं कि शायद यही कारण है कि सोनजुही का पीला फूल खिल उठा है—जैसे गिल्लू खुद को एक नए रूप में प्रकट कर रहा हो।

उत्तर -2

हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में हमारे पूर्वज कौए के रूप में आते हैं, जिससे हम उन्हें आदर देते हैं। इसके अलावा, कौआ हमारे दूर के रिश्तेदारों के आने की सूचना भी देता है, इसलिए इसे सम्मान मिलता है|

लेकिन दूसरी ओर, उसकी “काँव-काँव” आवाज़ को लोग कर्कश मानते हैं और इसे अवमानना का प्रतीक समझते हैं, जिससे उसे तिरस्कार भी मिलता है।

इस तरह, कौआ एक ऐसा प्राणी है जो सम्मान और अपमान, दोनों एक साथ पता है, इसलिए उसे समादरित और अनादरित कहा गया है।

1 .जिसकी मृत्यु निकट हो. मृत्यु के समीप पहुँचा हुआ 2 .गरमी 3 .पीले रंग का

उत्तर -3 लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे को, जिसे कौए ने नुकसान पहुँचाया था, अपने कमरे में ला कर उसकी देखभाल शुरू की। पहले, उसने बच्चे के रक्त को साफ किया और पेंसिलीन का लेप लगाया। फिर, रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध में भिगोया और बच्चे का मुँह खोलकर दूध पिलाने का प्रयास किया। कई घंटों की देखरेख के बाद, बच्चे ने अपना मुँह खोला, तो उसने रुई के फाहे से पानी पिलाया। इस प्रकार, लेखिका ने गिलहरी के नन्हे जीव को स्नेहपूर्वक उपचार प्रदान किया।

उत्तर -4 गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए लगातार दौड़ता रहता, जब तक कि लेखिका उसे पकड़ न ले। वह उनके पैर तक आकर झटपट परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से नीचे उतर आता। जब उसे भूख लगती, तो वह जोर-जोर से चिक-चिक करता और लेखिका से काजू व बिस्कुट लेकर शांत हो जाता। उसकी चंचलता और प्यारी हरकतें लेखिका का ध्यान खींचने में हमेशा सफल रहतीं।

उत्तर -5 जब लेखिका के कमरे में नीम और चमेली की सुगंध फैलने लगी और गिल्लू के जीवन में पहला बसंत आया, तो बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करने लगीं, मानो गिल्लू को कुछ कह रही हों। गिल्लू को जाली से बाहर झांकते देखकर लेखिका ने महसूस किया कि अब उसे मुक्त कर देना चाहिए। उसने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया, जिससे गिल्लू धीरे-धीरे बाहर जाने लगा और प्रकृति की गोद में लौट गया।

उत्तर -6 जब लेखिका मोटर दुर्घटना में घायल होकर अस्पताल से घर लौटी, गिल्लू उनकी सेवा में पूरी निष्ठा से जुट गया। वह उनके सिरहाने इस तरह बैठा रहता, मानो कोई परिचारिका उनकी देखभाल कर रही हो। अपने नन्हे-नन्हे पंजों से वह उनके बालों को धीरे-धीरे सहलाता, जिससे लेखिका को संबल और स्नेह का अहसास होता। जब गिल्लू वहां से हटता, तो लेखिका को ऐसा प्रतीत होता जैसे कोई परिचारिका अपने कार्य से हट गई हो। इस प्रकार, गिल्लू न केवल एक पालतू जीव था, बल्कि एक संवेदनशील और स्नेहिल साथी भी बन गया।

उत्तर -7 गिलहरियों की आयु लगभग दो वर्ष होती है, और गिल्लू भी अपनी उम्र पूरी कर चुका था। उस दिन उसने न तो कुछ खाया, न ही बाहर घूमने गया। रात के समय वह धीरे-धीरे अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आ गया। अपने ठंडे नन्हे पंजों से उसने लेखिका की उँगली पकड़ ली और उनके हाथ से स्नेहपूर्वक चिपक गया। फिर, वह शांत होकर हमेशा के लिए सो गया, मानो अपनी अंतिम विदाई दे रहा हो।

उत्तर -8 गिल्लू का अंतिम समय निकट था। उसके छोटे-छोटे पंजे ठंडे पड़ चुके थे, लेकिन फिर भी उसने लेखिका की उँगली मजबूती से पकड़े रखा। लेखिका ने उसे उष्णता देने के लिए हीटर जलाया, ताकि वह कुछ राहत महसूस कर सके। रात किसी तरह बीत गई, परंतु जैसे ही प्रभात की किरणें कमरे में आईं, गिल्लू ने धीरे-धीरे अपना जीवन समाप्त कर दिया। उसके इस शांत और भावुक विदाई ने लेखिका के हृदय में गहरी संवेदनाएँ छोड़ दीं।

उतर -9 गिल्लू की समाधि सोनजुही की लता के नीचे बनाई गई क्योंकि यह उसकी प्रिय जगह थी। इसके अलावा, लेखिका को यह विश्वास था कि किसी बसंती दिन गिल्लू जुही के छोटे-से पत्ते के रूप में अवश्य खिलेगा और जुही के पीले फूलों में उसकी आभा फिर से प्रकट होगी। इस तरह, लेखिका ने गिल्लू की स्मृति को प्रकृति के सौंदर्य से जोड़कर एक भावनात्मक संतोष प्राप्त किया।

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