NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 4 मेरा छोटा -सा निजी पुस्तकालय

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 4 मेरा छोटा -सा निजी पुस्तकालय | NCERT Question and Answer for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 Mera Chota sa niji pustakalaya

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 मेरा छोटा -सा निजी पुस्तकालय is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 मेरा छोटा -सा निजी पुस्तकालय.

उत्तर -1 लेखक को लगातार तीन गंभीर हार्ट अटैक आए, जिससे उनकी नब्ज़ और साँस रुक गई। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, लेकिन डॉक्टर बोर्जेस के 900 वोल्ट्स के शॉक्स ने उन्हें जीवनदान दिया। इस जोखिम भरे उपचार के परिणामस्वरूप उनके हृदय का 60 प्रतिशत भाग स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। शेष 40 प्रतिशत में भी तीन अवरोध मौजूद थे, जिससे कोई भी सर्जन उनके ऑपरेशन को लेकर असमंजस में था।

उत्तर -2लेखक को बचपन से ही पुस्तकों का गहरा लगाव था। वे न केवल उन्हें पढ़ते, बल्कि संग्रहीत भी करते थे। अपने घर में उन्होंने एक छोटा-सा निजी पुस्तकालय बना लिया, जहाँ विभिन्न लेखकों की विविध पुस्तकें संकलित थीं। जैसे पुरानी कहानियों में राजा के प्राण तोते में बसते थे, वैसे ही लेखक की आत्मा इन पुस्तकों में रची-बसी थी। यही कारण था कि उन्होंने बेडरूम के बजाय ‘किताबों वाले कमरे’ में रहने की इच्छा जताई।

उत्तर -3लेखक के घर नियमित रूप से कई पत्र-पत्रिकाएँ आती थीं, जिनमें आर्यमित्र साप्ताहिक, वेदोदम, सरस्वती, गृहिणी, बालसखा और चमचम शामिल थीं। इनमें से बालसखा और चमचम विशेष रूप से लेखक के लिए मंगाई जाती थीं, क्योंकि वे बाल साहित्य से गहरे जुड़े थे।

उत्तर -4लेखक के घर नियमित रूप से कई पत्र-पत्रिकाएँ आती थीं, जिनमें से बालसखा और चमचम विशेष रूप से उनके लिए मंगाई जाती थीं। इन पत्रिकाओं में राजकुमारों, दानवों और परियों की रोमांचक कहानियाँ होती थीं, जिन्हें पढ़ते-पढ़ते लेखक को पत्रिकाएँ पढ़ने की आदत लग गई। घर में उपलब्ध अन्य किताबों को भी वे बड़े उत्साह से पढ़ने की कोशिश करते।

पाँचवी कक्षा में प्रथम आने पर उन्हें पुरस्कारस्वरूप दो अंग्रेजी की पुस्तकें मिलीं। इन किताबों ने उनके सामने एक नई दुनिया के द्वार खोल दिए, जिससे उनका साहित्य के प्रति आकर्षण और भी गहरा हो गया। उनके पिता ने अलमारी में स्थान बनाकर इन पुस्तकों को वहाँ रखा और कहा कि यही उनकी निजी लाइब्रेरी की शुरुआत है। इस प्रोत्साहन ने लेखक के बढ़ते शौक को और अधिक प्रेरित किया, जिससे वे किताबें पढ़ने और सहेजने के प्रति समर्पित हो गए।

उत्तर -5 लेखक को पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने का गहरा शौक था। बाल पत्रिकाओं के अलावा, वे घर में उपलब्ध अन्य किताबों को भी पढ़ने का प्रयास करते, जिससे उन्हें अत्यंत आनंद मिलता था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के लिए घर पर ही मास्टर रखे गए थे, क्योंकि उनके पिता को आशंका थी कि अपरिपक्व उम्र में वे कहीं अनुचित संगत में न पड़ जाएँ।

पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में उनकी गहरी रुचि के कारण वे अक्सर अध्ययन में व्यस्त रहते, लेकिन इसी कारण उनकी माँ उनकी औपचारिक स्कूली पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती थीं।

उत्तर -6पाँचवी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर लेखक को पुरस्कारस्वरूप अंग्रेजी की दो किताबें मिलीं। पहली पुस्तक में दो बच्चे घोंसले की खोज में विभिन्न स्थानों पर घूमते हुए विभिन्न पक्षियों की जानकारी प्राप्त करते हैं। दूसरी पुस्तक, “ट्रस्टी द रग”, पानी के जहाज़ों की रोमांचक दुनिया से परिचय कराती है। एक ओर था पक्षियों से गुलजार आकाश, तो दूसरी ओर विस्तृत और रहस्यमयी समुद्र। इन दोनों पुस्तकों ने लेखक की कल्पना को नया आयाम दिया और उनके लिए एक नई दुनिया के द्वार खोल दिए।

उत्तर -7 लेखक को जब स्कूल से इनाम में दो अंग्रेज़ी की किताबें मिली तो उनके पिता ने अलमारी का एक खाना खाली करके वे किताबें वहाँ रख दी और कहा कि आज से वह लेखक की अपनी लाइब्रेरी है। लेखक को पहले से ही किताबें और पत्रिकाएँ पढ़ने में बहुत रूचि थी। पिता के इस कथन से उन्हें किताबें जमा करने की प्रेरणा मिली, जिसके कारण भविष्य में लेखक अपने एक कमरे में एक अच्छा-सा पुस्तकालय बनाने में सफ़ल हुए।

उत्तर -8 लेखक के पिता के निधन के बाद आर्थिक तंगी के कारण उनकी प्रिय किताबें खरीदना संभव नहीं था। एक ट्रस्ट से योग्य लेकिन असहाय छात्रों को पाठ्यपुस्तकें खरीदने के लिए सहायता राशि मिलती थी, जिससे लेखक सेकंड-हैंड पुस्तकें लेते थे। इंटरमीडिएट पास करने के बाद, जब उन्होंने पुरानी किताबें बेचकर बी.ए. की सेकंड-हैंड किताबें खरीदीं, तो उनके पास दो रुपए बच गए।

उन दिनों “देवदास” फिल्म प्रदर्शित हो रही थी, और लेखक अक्सर उसका प्रसिद्ध गीत “दुःख के दिन बीतत नाही” गुनगुनाते थे। एक दिन उनकी माँ ने उन्हें समझाया कि कठिन समय हमेशा नहीं रहता, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाता है। जब लेखक ने बताया कि यह एक फिल्म का गीत है, तो माँ, जो फिल्मों को अधिक पसंद नहीं करती थीं, ने उन्हें “देवदास” देखने की अनुमति दे दी।

फिल्म देखने जाते समय लेखक ने पास ही एक दुकान पर “देवदास” पुस्तक देखी। फिल्म देखने के बजाय उन्होंने दस आने में वह पुस्तक खरीद ली और शेष बचे पैसे माँ को दे दिए। इस प्रकार, लेखक ने अपनी पहली पुस्तक खरीदी, जो उनके लिए एक बेहद खास अनुभव था

उत्तर -9बीमारी के दौरान लेखक अपने निजी पुस्तकालय में ही रहे, जहाँ उनके द्वारा सहेजी गई हजारों किताबें थीं। उनके संग्रह में हिंदी और अंग्रेजी के विभिन्न विषयों पर असंख्य पुस्तकें थीं। इन पुस्तकों को देखकर उन्हें अपने अतीत की याद आती—कैसे उन्होंने मेहनत और लगन से एक-एक किताब को संजोया था। इन विविध विषयों और लेखकों की संगति में वे कभी अकेलापन महसूस नहीं करते, बल्कि एक अद्भुत समृद्धि और पूर्णता का अनुभव करते।

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