NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे

प्रश्न – उत्तर

उत्तर -1पिछले आंदोलन के दौरान सरदार पटेल ने स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को अहमदाबाद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। इस अपमान का प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से शिलिडी ने पटेल पर निषेधाज्ञा भंग करने का आरोप लगाया और उनकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया।

उत्तर -2सरदार पटेल ने रास में भाषण देकर कोई अपराध नहीं किया था, लेकिन कलेक्टर ने ईर्ष्या और द्वेषवश उनकी गिरफ्तारी करवाई। पटेल को जनता का पूरा समर्थन प्राप्त था, जिससे जज पर भी दबाव था। यही कारण था कि वह यह तय करने में असमंजस में था कि किन कानूनी धाराओं के अंतर्गत उन्हें कितनी सजा दी जाए। इसी गहन विचार-विमर्श के कारण निर्णय लिखने में उसे डेढ़ घंटे का समय लग गया।

उत्तर -3सरदार पटेल को निषेधाज्ञा के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जबकि यह आदेश उसी समय लागू किया गया था। इसलिए उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी थी। ब्रिटिश सरकार किसी न किसी बहाने कांग्रेस के नेताओं को जेल में डालना चाहती थी। इस सच्चाई को उजागर करते हुए पटेल ने गांधी जी से कहा, “मैं जेल जा रहा हूँ। अब सरकार आपको भी बंद करेगी, तैयार रहिए।” उनका यह कथन स्वतंत्रता संग्राम की निरंतरता और ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति को दर्शाता है।

उत्तर -4
पटेल की गिरफ्तारी के बाद जब गांधी जी रास पहुँचे तो दरबार समुदाय के लोगों के द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। ये दरबार लोरा रियासतदार होते थे, जो अपना ऐशो-आराम छोड़कर रास में बस गए थे। गांधी जी ने इन्हीं दरबार लोगों के त्याग और ऐसे फैसले लेने के साहस के बारे में कह रहे थे।

उत्तर -5इस पाठ से स्पष्ट होता है कि आपसी समझ और सहयोग से किसी भी कठिन परिस्थिति का समाधान निकाला जा सकता है। जब वल्लभभाई पटेल को गिरफ्तार किया गया, तो यह गुजरात के सत्याग्रह आंदोलन के लिए एक बड़ी चुनौती थी। आंदोलन की विफलता की आशंका बढ़ गई, लेकिन गाँधी जी ने तुरंत उसकी कमान सँभाल ली।

यदि गाँधी जी भी गिरफ्तार हो जाते, तो इसकी भी रणनीति पहले से तय थी—अब्बास तैयबजी नेतृत्व के लिए तैयार थे। गाँधी जी को रास से कनकापुर की सभा में पहुँचना था, जिसके लिए नदी पार करनी थी। गाँववासियों ने इसकी पूरी योजना बनाई और रातों-रात नदी पार करने की व्यवस्था कर ली। झोंपड़ियों, तंबुओं, नावों और दियों का इंतज़ाम कर लिया गया, जिससे यह कठिन कार्य बेहद सहजता और कुशलता से पूरा किया जा सका।

यह उदाहरण दर्शाता है कि आपसी मेलजोल और तात्कालिक सूझबूझ से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।

उत्तर -6 गांधी जी और सत्याग्रही सायं छह बजे चलकर आठ बजे कनकापुरा पहुँचे। वहीं आधी रात में महिसागर नदी पर करने निर्णय लिया गया। नदी तट पर हजारों लोग दिये लेकर खड़े थे। नदी के दोनों तटों पर मेले जैसा दृश्य हो रहा था। लोग गांधी, पटेल और नेहरू की जयकार कर रहे थे।

उत्तर -7 गांधी जी के इस कथन से उनके दृढ़ संकल्प, सत्य और अहिंसा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का परिचय मिलता है। यह कथन उनके आत्मसंयम, प्रतिबद्धता और लक्ष्य के प्रति उनकी अडिग भावना को दर्शाता है।

उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन को एक आध्यात्मिक यात्रा की तरह माना, जिसमें त्याग, धैर्य और अनुशासन अत्यंत आवश्यक थे। उनका यह विश्वास कि यात्रा को पैदल पूरा करना चाहिए, उनके सादगी, आत्मनिर्भरता और आत्मबलिदान की भावना को दर्शाता है। इससे उनकी अटूट इच्छाशक्ति और अपने सिद्धांतों के प्रति उनकी निष्ठा स्पष्ट होती है, जिससे प्रेरित होकर हजारों लोग उनके मार्गदर्शन में अहिंसात्मक संघर्ष के लिए आगे बढ़े।

उत्त्तर -8 अंग्रेज अधिकारी गांधी जी के स्वभाव और सिद्धांतों से भली-भाँति परिचित थे। वे जानते थे कि गांधी जी किसी भी कार्य में छल या असत्य का सहारा नहीं लेंगे। फिर भी, जब गांधी जी ने कहा कि यहाँ भी नमक बनाया जा सकता है, तो अधिकारियों को आशंका हुई। इसी डर से उन्होंने एहतियाती कदम उठाते हुए नदी के तट पर मौजूद सारे नमक के भंडार नष्ट करवा दिए, ताकि सत्याग्रहियों के संभावित प्रयासों को रोक सकें।

उत्तर -9 गांधी जी महिसागर नदी पार कर चुके थे, लेकिन फिर भी लोग तट पर डटे रहे ताकि उनके पीछे आने वाले सत्याग्रही सुरक्षित तट तक पहुँच सकें। उन्होंने दियों की रोशनी से मार्ग को आलोकित किया, जिससे सत्याग्रहियों को दिशा और सहारा मिल सके। उनका यह सहयोग आंदोलन की एकता और समर्पण को दर्शा रहा था।

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