NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक -दो पंक्तियों में दीजिए –
प्रश्न -1 अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था ?
उत्तर -1 अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद के द्वारा किया गया।
प्रश्न -2 लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा ?
उत्तर -2 लेखिका को “सागरमाथा” नाम इसलिए पसंद आया क्योंकि इसका अर्थ है “सागर का माथा”, और यह नाम माउंट एवरेस्ट की दुनिया की सबसे ऊँची चोटी होने की गरिमा को दर्शाता है।
प्रश्न -3 लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा ?
उत्तर -3तेज़ हवाओं में उठती हुई चक्करदार बर्फ़ की आकृति लेखिका को ऐसे प्रतीत हुई जैसे कोई ध्वज हवा में लहरा रहा हो।
प्रश्न -4 हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए ?
उत्तर -4हिमस्खलन की घटना में दो लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि नौ अन्य घायल हो गए।
प्रश्न -5 मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा ?
उत्तर -5कर्नल खुल्लर ने मृत्यु के गहन विषाद को देखकर कहा कि ऐसे साहसिक अभियानों में मृत्यु को जीवन का स्वाभाविक अंग मानते हुए शांत चित्त से स्वीकार करना चाहिए |
प्रश्न -6 रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई ?
उत्तर -6रसोई सहायक का निधन विषम और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में लगातार कार्य करने के कारण हुआ।
प्रश्न -7 कैंप -चार कहाँ और कब लगाया गया ?
उत्तर -7कैंप-चार को 29 अप्रैल को ‘साउथ कोल’ नामक स्थान पर स्थापित किया गया, जो समुद्र तल से लगभग 7900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
प्रश्न -8 लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया ?
उत्तर -8 लेखिका ने तेनजिंग से परिचय करते हुए विनम्रता से बताया कि वह पर्वतारोहण में नई हैं और एवरेस्ट उनका प्रथम अभियान है।
प्रश्न -9 लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी ?
उत्तर -9कर्नल खुल्लर ने लेखिका की सफलता पर हर्ष प्रकट करते हुए कहा, “मैं इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को हार्दिक बधाई देना चाहता हूँ। पूरा देश तुम पर गर्व करता है, और अब जब तुम लौटोगी, तो वह संसार तुम्हारे लिए पहले जैसा नहीं रहेगा—वह एक नया, बदला हुआ अनुभव होगा।”
लिखित
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर (25 -30 शब्दों में )लिखिए –
प्रश्न -10 नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा ?
उत्तर -10 एवरेस्ट को निकट से देखकर लेखिका स्तब्ध रह गई। उसे चारों ओर फैली टेढ़ी-मेढ़ी बर्फ़ से ढकी चोटियाँ किसी बहती हुई हिमनदी की तरह प्रतीत हो रही थीं।
प्रश्न -11 डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दी ?
उत्तर -11 डॉ. मीनू मेहता ने लेखिका को यह बताया कि किस प्रकार एल्यूमिनियम की सीढ़ियों की मदद से अस्थायी पुलों का निर्माण किया जाता है, लट्टों और रस्सियों का प्रयोग कर दुर्गम स्थानों को पार किया जाता है, और बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर सुरक्षा हेतु रस्सियाँ बाँधी जाती हैं। उन्होंने अग्रिम दल द्वारा किए जा रहे अभियंत्रण संबंधी कार्यों की विस्तृत जानकारी भी साझा की।
प्रश्न -12 तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा ?
उत्तर -12 तेनजिंग ने मुस्कुराते हुए लेखिका की सराहना की और कहा, “तुम्हारी तो पहचान ही एक सच्ची पर्वतीय लड़की जैसी है। मुझे लगता है, तुम्हारा शिखर तक पहुँचना तो पहले ही प्रयास में निश्चित था।”
प्रश्न -13 लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी ?
उत्तर -13 लेखिका के अभियान-दल में यद्यपि लोपसांग, तशारिंग, एन.डी. शेरपा जैसे कई सदस्य शामिल थे, परंतु वास्तविक यात्रा में उनके सहयात्री की, जय और मीनू थे।
प्रश्न -14 लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया ?
उत्तर -14 लोपसांग ने तुरंत अपनी स्विस छुरी निकाली और बिना समय गँवाए लेखिका के चारों ओर जमी कठोर बर्फ़ को काटना शुरू किया। उन्होंने बड़े-बड़े जमे हुए हिमपिंडों को हटाया और लेखिका के चारों ओर खुदाई करते हुए जम चुकी बर्फ़ की कब्र को धीरे-धीरे खोल दिया। अथक प्रयास और साहस से उन्होंने लेखिका को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
प्रश्न -15 साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की ?
उत्तर -15 ‘साउथ कोल’ कैंप पर पहुँचते ही लेखिका ने आगामी दिन की कठिन चढ़ाई की तैयारी में जुट गई। उसने पहले आवश्यक वस्तुएँ—खाद्य सामग्री, कुकिंग गैस और ऑक्सीजन सिलेंडर—सुनियोजित ढंग से एकत्रित कीं। इसके पश्चात वह थकी-हारी देह और सर्द मौसम को राहत देने के लिए चाय बनाने की तैयारी करने लगी।
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर (50 -60 शब्दों) में लिखिए –
प्रश्न -1 उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया ?
उत्तर -1उपनेता प्रेमचंद ने खंभु हिमपात की गंभीर परिस्थिति से दल को अवगत कराते हुए बताया कि उनके दल ने हिमपात के ठीक ऊपर स्थित कैंप-एक तक का मार्ग साफ़ कर दिया है। उन्होंने रास्ते को पहचानने योग्य बनाने के लिए फल बाँधे, रस्सियाँ लगाईं और इंडियों की सहायता से चिन्हित किया, साथ ही सभी कठिनाइयों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया।
उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि ग्लेशियर दरअसल बर्फ़ की एक जीवित नदी है, जिसकी गति और स्वरूप अनियमित व अनिश्चित होते हैं। लगातार गिरती बर्फ़ के कारण अब तक किया गया सारा प्रयास व्यर्थ भी हो सकता है और दल को यह मार्ग दोबारा साफ़ करने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
प्रश्न -2हिमपात कैसे होता है और उससे क्या -क्या परिवर्तन आते है ?
उत्तर -2🌨️ हिमपात कैसे होता है
हिमपात तब होता है जब वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प अत्यधिक ठंड के कारण बर्फ़ के कणों में बदल जाती है और ये कण बादलों से गिरने लगते हैं। यह प्रक्रिया मुख्यतः ऊँचाई वाले और ठंडे क्षेत्रों में होती है।
मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
- सूर्य की गर्मी से जल स्रोतों से वाष्प बनती है
- यह वाष्प ऊपर जाकर बादल बनाती है
- ऊँचाई पर तापमान गिरने से वाष्प बर्फ़ के कणों में बदल जाती है
- ये कण एक-दूसरे से जुड़कर हिमकण बनाते हैं
- जब उनका भार अधिक हो जाता है, तो वे धरती पर गिरते हैं — यही हिमपात है
❄️ हिमपात से होने वाले परिवर्तन
हिमपात केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि यह पर्यावरण और मानव जीवन पर कई प्रभाव डालता है:
- तापमान में गिरावट: हिमपात के बाद वातावरण अत्यधिक ठंडा हो जाता है
- सड़कें और रास्ते बंद: भारी हिमपात से यातायात बाधित होता है
- धरातल पर दरारें: ग्लेशियरों की हलचल से ज़मीन पर चौड़ी दरारें पड़ सकती हैं
- जल स्रोतों में वृद्धि: गर्मियों में पिघलती बर्फ़ नदियों और झीलों को भरती है
- कृषि पर प्रभाव: अत्यधिक हिमपात से फसलें नष्ट हो सकती हैं, लेकिन ताज़ी बर्फ़ पौधों को ठंड से भी बचाती है
प्रश्न -3 लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है ?
उत्तर -3 लेखिका ने वर्णन किया कि वह उस समय ल्होत्से की बर्फ़ीली, खड़ी ढलान पर स्थित कैंप-तीन के एक नायलॉन तंबू में थी, जिसमें उसके साथ लोपसांग और तशारिंग भी ठहरे हुए थे। रात के लगभग साढ़े बारह बजे अचानक किसी कठोर वस्तु के सिर से टकराने से उसकी नींद टूट गई। तभी एक तेज़ धमाका हुआ और ऐसा लगा मानो कोई बेहद ठंडी व भारी चीज़ उसके पूरे शरीर को दबाती चली जा रही हो। उस क्षण उसे साँस लेने में भारी कठिनाई महसूस होने लगी और वातावरण घुटन से भर गया।
प्रश्न -4 लेखिका को देखकर ‘की ‘हक्का बक्का क्यों रह गया ?
उत्तर -4 जय, जो बचेंद्री पाल का पर्वतारोहण साथी था, शिखर तक साथ पहुँचने के लिए निर्धारित था, लेकिन भारी सामान ढोने की वजह से वह पीछे रह गया और शिखर कैंप पर देर से पहुँचा। इस बात का एहसास होने पर बचेंद्री ने मानवीय संवेदनशीलता का परिचय देते हुए उसके लिए चाय और जूस लेकर स्वयं उसे लेने निकल पड़ीं। जय को यह कल्पना भी नहीं थी कि बचेंद्री उसकी इतनी चिंता करेंगी और इतने विषम वातावरण में उसे लेने आएँगी। जब उसने उन्हें हाथ में चाय-जूस लिए अपनी ओर आते देखा, तो वह आश्चर्य और भावुकता से भर गया—एक क्षण को तो वह हक्का-बक्का रह गया।
प्रश्न -5 एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए ?उनका वर्णन कीजिए |
उत्तर -5एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए कुल पांच प्रमुख कैंप बनाए गए थे, जो चढ़ाई की विभिन्न चरणों में सहायक रहे। इनका विवरण इस प्रकार है
🏕️ एवरेस्ट चढ़ाई के कैंपों का क्रम और वर्णन:
- बेस कैंप
- यह प्रारंभिक और मुख्य कैंप था।
- यहीं से अभियान की योजना और संचालन होता था।
- सभी आवश्यक सामग्री और उपकरण यहीं एकत्रित किए जाते थे।
- कैंप
- यह लगभग 6000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित था।
- यह खंभु हिमपात के ठीक ऊपर बनाया गया था।
- यहाँ सामान जमा किया गया और पर्वतारोहियों को ऊँचाई के अनुसार अनुकूलन का समय मिला।
- कैंप
- यह चढ़ाई के मध्य मार्ग में स्थित था।
- यहाँ से पर्वतारोहियों को आगे की कठिन चढ़ाई के लिए तैयार किया जाता था।
- कैंप
- यह ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढलान पर लगाया गया था।
- रंगीन नायलॉन के तंबू यहाँ लगाए गए थे।
- यहीं पर एक हिमखंड गिरने की दुर्घटना भी हुई थी।
- कैंप (साउथ कोल कैंप)
- यह समुद्र तल से लगभग 7900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित था।
- इसे “साउथ कोल” कहा जाता है और यहीं से अंतिम चढ़ाई की तैयारी होता
इन कैंपों की स्थापना ने न केवल चढ़ाई को चरणबद्ध और सुरक्षित बनाया, बल्कि हर पड़ाव पर पर्वतारोहियों को विश्राम, अनुकूलन और रणनीति तय करने का अवसर भी दिया |
प्रश्न -6 चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर -6 चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति अत्यंत विकट और रोमांचक थी। जब लेखिका वहाँ पहुँची, तो:
- तेज़ हवाएँ चल रही थीं, जिनसे बर्फ़ उड़कर चारों ओर फैल रही थी, जिससे दृश्य धुंधला और अस्थिर हो गया था।
- चोटी शंकु के आकार की थी, और वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें।
- सुरक्षा की दृष्टि से लेखिका ने फावड़े से बर्फ़ की खुदाई कर अपने लिए एक स्थिर स्थान बनाया, ताकि तेज़ हवा में संतुलन बना रहे।
- चारों ओर हज़ारों मीटर गहरी ढलानें थीं, जो दृश्य को और भी भयावह और चुनौतीपूर्ण बना रही थीं।
प्रश्न -7 सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बछेंद्री के किस कार्य से मिलता है ?
उत्तर – 7 बछेंद्री पाल ने सम्मिलित अभियान में सहयोग और सहायता की भावना का परिचय उस समय दिया जब वे साउथ कोल कैंप पर पहुँचने के बाद केवल अपनी नहीं, बल्कि अपने साथियों की भी चिंता कर रही थीं। तेज़ बर्फ़ीली हवाओं और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपने दल के सदस्यों के लिए चाय और जूस लेकर नीचे उतरकर उन्हें लिवाने का साहसिक कार्य किया।
इस व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि बछेंद्री न केवल एक साहसी पर्वतारोही थीं, बल्कि एक सच्ची टीम खिलाड़ी भी, जिनके लिए दल की भलाई सर्वोपरि थी।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
प्रश्न -1 एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी -कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए |
उत्तर -1एवरेस्ट जैसी महान और जोखिमभरी चढ़ाई एक ऐसा अभियान है, जिसमें प्रत्येक कदम पर जीवन और मृत्यु की चुनौती सामने खड़ी रहती है। इस प्रकार के प्रयास में यदि कोई अपने प्राणों का बलिदान दे भी दे, तो उसे जीवन के एक स्वाभाविक और सम्मानजनक अंत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। यह कोई रोने-धोने या हाय-तौबा करने का विषय नहीं, बल्कि साहस और समर्पण की चरम परिणति मानी जानी चाहिए।
प्रश्न -2 सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे -चौड़े हिम -विदर में बदल जाने का मात्र ख्याल ही बहुत डरावना था | इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी की हमारे सम्पूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा |
उत्तर -2 ग्लेशियरों की गति से जब बर्फ़ की परतों में हलचल होती है, तो अचानक विशाल बर्फ़ीली चट्टानें टूटकर गिरने लगती हैं। इससे धरातल पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाती हैं, जो धीरे-धीरे विकराल हिम-विदरों का रूप ले लेती हैं। ये हिम-विदर पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकते हैं और अक्सर मृत्यु का कारण बनते हैं। मात्र इस संभावित दृश्य की कल्पना ही दिल को भय से भर देती है। दुर्भाग्यवश, अभियान दल को पहले से यह ज्ञात था कि उन्हें अपने मार्ग में ऐसे खतरनाक हिमपातों और दरारों का सामना करना होगा।
प्रश्न -3 बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बरफ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता पिता का ध्यान आया।
उत्तर -3 बचेंद्री पाल जब हिमालय की सर्वोच्च चोटी पर पहुँचीं, तो वह क्षण न केवल विजय का था, बल्कि आंतरिक श्रद्धा और आत्मिक तृप्ति का भी। उन्होंने घुटनों के बल बैठकर बर्फ़ को अपने माथे से छुआ—जैसे प्रकृति को नमन कर रही हों। बिना सिर झुकाए, बड़ी संजीदगी से उन्होंने अपने थैले से माँ दुर्गा का चित्र और हनुमान चालीसा निकाली, उन्हें लाल कपड़े में लपेटा और कुछ क्षणों तक मौन श्रद्धा के साथ पूजा की। फिर उन पवित्र प्रतीकों को बर्फ़ में ससम्मान दबा दिया—मानो अपने विश्वास का अंश सदा के लिए उस शिखर पर छोड़ आई हों। उस दिव्य क्षण में उनके भीतर अपार आनंद की अनुभूति हुई, और हृदय में सबसे पहले अपने माता-पिता की स्मृति उमड़ पड़ी। ❄️🕉️🌸
भाषा अध्ययन
प्रश्न -1 इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का सन्दर्भ देकर कीजिए –
निहारा है ,धसकना ,खिसकना ,सागरमाथा ,जायजा , लेना ,नौसिखिया
उत्तर -1
शब्द | व्याख्या (पाठ के संदर्भ में) |
---|---|
निहारा है | इसका अर्थ है ध्यानपूर्वक और आश्चर्य मिश्रित दृष्टि से देखना। पाठ में यह तब आता है जब बचेंद्री पाल ने पहली बार एवरेस्ट की चोटी को निहारा, यानी उसे पूरे भाव और सम्मान के साथ देखा। यह क्षण भावनात्मक और ऐतिहासिक था। |
धसकना | किसी चीज़ का अंदर की ओर बैठ जाना या टूटकर नीचे गिर जाना। पाठ में इसका प्रयोग उस स्थिति के लिए किया गया है जब बर्फ़ का पिंड तंबू पर गिरने से तंबू धसक गया था और लेखिका उसके नीचे दब गई थीं। |
खिसकना | धीरे-धीरे हटना या स्थान बदलना। पाठ में यह शब्द बर्फ़ की चट्टानों या तली में जमी हुई परतों के अचानक खिसक जाने के लिए प्रयोग किया गया है, जिससे दरारें पड़ने की आशंका थी। |
सागरमाथा | यह नेपाली भाषा में एवरेस्ट का नाम है। पाठ में यह शब्द तब आता है जब बताया जाता है कि नेपाल में एवरेस्ट को ‘सागरमाथा’ कहा जाता है, जिससे उस स्थान की स्थानीय पहचान झलकती है। |
जायजा लेना | स्थिति या वस्तु का गहराई से निरीक्षण या मूल्यांकन करना। पाठ में इसका उपयोग प्रेमचंद उपनेता द्वारा मार्ग की स्थिति का परीक्षण करने के लिए हुआ है—जैसे रस्सियाँ बाँधना, फल लगाना आदि कार्य करके रास्ते का जायजा लेना। |
नौसिखिया | नया या अनुभवहीन व्यक्ति। पाठ में इसका प्रयोग उन पर्वतारोहियों के लिए किया गया है जो अनुभवहीन थे और जिन्हें विशेष सावधानी और प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। |
प्रश्न -2 निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
(क ) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए
(ख ) क्या तुम भयभीत थी
(ग ) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बछेंद्री
उत्तर -2 बिलकुल, आइए इन वाक्यों में उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग करके उन्हें और स्पष्ट और प्रभावशाली बनाते हैं:
(क) उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
(ख) “क्या तुम भयभीत थी?”
(ग) “तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली, बछेंद्री?”
📝 नोट:
- उद्धरण चिह्न (” “) तब प्रयोग होते हैं जब किसी के कथन को हूबहू प्रस्तुत किया जाए।
- प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग किया जाता है।
- कॉमा (,) व्यक्ति को संबोधित करते समय उपयुक्त स्थान पर लगाया जाता है, जिससे अर्थ स्पष्ट होता है।
प्रश्न -3 नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निन्मलिखित शब्द -युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
उदाहरण : हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था ।
टेढ़ी -मेढ़ी हक्का -बक्का
गहरे -चौड़े इधर -उधर
आस -पास लंबे -चौड़े
उत्तर -3
- टेढ़ी-मेढ़ी : वह पहाड़ी रास्ता इतना टेढ़ा-मेढ़ा था कि चलना बहुत मुश्किल हो रहा था।
- हक्का-बक्का : दुर्घटना देखकर लोग हक्का-बक्का रह गए।
- गहरे-चौड़े : समुंदर के गहरे-चौड़े पानी को देखकर मैं रोमांचित हो गया।
- इधर-उधर : बच्चे पार्क में इधर-उधर दौड़ते फिर रहे थे।
- आस-पास : मंदिर के आस-पास बहुत सारी दुकानों की भीड़ थी।
- लंबे-चौड़े : वह आदमी दिखने में बहुत लंबा-चौड़ा और मजबूत था।
प्रश्न -4 उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए-
उदाहरण- अनुकूल-प्रतिकूल
नियमित – ……………..
विख्यात – ………………..
आरोही -…………………
निश्चित – ………………
सुंदर -………………..
उत्तर 4
- नियमित – अनियमित
- विख्यात – अल्पख्यात / अप्रसिद्ध
- आरोही – अवरोही
- निश्चित – अनिश्चित
- सुंदर – कुरूप / बदसूरत
प्रश्न -5 निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए-
जैसे- पुत्र – सुपुत्र
वास व्यवस्थित
कूल गति
रोहण रक्षित
उत्तर -5 उपसर्ग | मूल शब्द | परिणामस्वरूप शब्द | अर्थ (संक्षेप में) |
---|---|---|---|
आ | वास | आवास | रहने का स्थान |
अ | व्यवस्थित | अव्यवस्थित | जिसमें व्यवस्था न हो |
प्रति | कूल | प्रतिकूल | विपरीत दिशा में या विरोध में |
दुर् | गति | दुर्गति | बुरी दशा या बुरा हाल |
अव | रोहण | अवरोहण | नीचे की ओर जाना |
सु | रक्षित | सुरक्षित | अच्छी तरह से संरक्षित या सुरक्षित रखा गया |
प्रश्न -6 निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानो की पूर्ति कीजिए अगले दिन ,कम समय में , कुछ देर बाद ,सुबह तक ,
- मैं ……………….. यह कार्य कर लूंगा।
- ……………. घिरने के …………… ही वर्षा हो गई।
- उसने बहुत …………………. इतनी तरक्की कर ली।
- नाडकसा को ………………….. गाँव जाना था|
उत्तर -6
मैं यह कार्य अगले दिन पूरा कर दूँगा।
कुछ ही देर में बादलों के घिरते ही बारिश शुरू हो गई।
उसने बेहद कम वक्त में असाधारण प्रगति कर ली।
सुबह होने से पहले नाडकसा को गाँव के लिए निकलना था।
योग्यता -विस्तार
प्रश्न -1 इस पाठ में आए दस अंग्रेजी शब्दों का चयन कर उनके अर्थ लिखिए |
उत्तर -1
अंग्रेज़ी / तकनीकी शब्द | सरल हिन्दी रूप |
---|---|
बेस कैंप | प्रारंभिक या प्रमुख पड़ाव |
ग्लेशियर | हिमनदी या बर्फ़ से बनी नदी |
स्ट्रेचर | रोगी को उठाने-ले जाने का यंत्र |
साउथ | दक्षिण दिशा |
कुकिंग गैस | भोजन बनाने हेतु प्रयुक्त गैस |
ऑक्सीजन | जीवनदायिनी वायु / प्राणवायु |
कुली | भार वहन करने वाला श्रमिक |
वॉकी-टॉकी | दूरभाष यंत्र / दोतरफ़ा संवाद उपकरण |
सिलिंडर | गैस या तरल रखने वाला बेलनाकार पात्र |
थरमस | ताप बनाए रखने वाला विशेष पात्र |
प्रश्न -2 पर्वतारोहण से सबंधित दस चीजों के नाम लिखिए |
उत्तर -2 🧗♂️ पर्वतारोहण में उपयोगी उपकरण एवं सामग्री:
- रज्जु (रस्सी) – चढ़ाई और सुरक्षा के लिए अत्यावश्यक
- फावड़ा – बर्फ़ हटाने या तंबू लगाने हेतु
- ऑक्सीजन टैंट – ऊँचाई पर श्वास में सहूलियत के लिए
- बँटा – भार वहन और सामग्री बाँधने के लिए
- वॉकी-टॉकी – दल के बीच संपर्क बनाए रखने हेतु
- थरमस (चाय हेतु) – गर्म पेय को लंबे समय तक गरम रखने के लिए
- एल्यूमिनियम की सीढ़ी – दरारों या बर्फीले मार्गों को पार करने में सहायक
- बिस्तर – विश्राम व निद्रा के लिए हल्का और तह करने योग्य
- चाकू – अनेक उपयोगों के लिए आवश्यक औज़ार
- हथौड़ा और कीलें – तंबू गाड़ने या बर्फ में पकड़ के लिए
- स्ट्रेचर – आकस्मिक स्थिति में घायल व्यक्ति को लाने-ले जाने हेतु
प्रश्न -3 तेनजिंग शेरपा की पहली चढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए |
उत्तर -3 तेनजिंग शेरपा, एक साहसी नेपाली पर्वतारोही, ने 29 मई 1953 को अपने सहयोगी सर एडमंड हिलेरी के साथ मिलकर माउंट एवरेस्ट की चोटी पर सफलतापूर्वक कदम रखा। यह उपलब्धि न केवल विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत को जीतने का प्रतीक थी, बल्कि इंसानी साहस, समर्पण और मानसिक दृढ़ता की भी अनूठी मिसाल बन गई। तेनजिंग की कठोर तैयारी, अटूट हिम्मत और विषम परिस्थितियों से जूझने की अद्वितीय क्षमता ने उन्हें वैश्विक मंच पर गौरव और मान-सम्मान दिलाया। यह चढ़ाई शारीरिक क्षमता के साथ-साथ आत्म-विश्वास, संयम और जज़्बे का भी प्रतीक रही।
प्रश्न -4 इस पर्वत का नाम ‘एवरेस्ट क्यों पड़ा ? जानकारी पर प्राप्त कीजिए |
उत्तर -4 माउंट एवरेस्ट का नाम ब्रिटिश सर्वेक्षक सर जॉर्ज एवरेस्ट के सम्मान में रखा गया था, जो भारत के त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण विभाग के प्रमुख थे। वर्ष 1865 में इस पर्वत को आधिकारिक रूप से ‘एवरेस्ट’ नाम दिया गया, जबकि इससे पहले यह ‘सागरमाथा’ और ‘पार्बत’ जैसे स्थानीय नामों से जाना जाता था। सर जॉर्ज एवरेस्ट ने हिमालय क्षेत्र के मानचित्रण और पर्वतों की ऊँचाई मापने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से विश्व की सबसे ऊँची चोटी को उनका नाम दिया गया।
परियोजना कार्य
प्रश्न -1 आगे बढ़ती भारतीय महिलाओं की पुस्तक पढ़कर उनसे संबंधित चित्रों का संग्रह कीजिए एवं संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए-
(क) पी. टी. उषा
(ख) आरती साहा
(ग) किरण बेदी
उत्तर -1 (क) पी. टी. उषा – “उड़न परी”
- पूरा नाम: पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा
- जन्म: 27 जून 1964, केरल
- विशेषता: भारत की सबसे तेज़ महिला धाविका, जिन्हें “पय्योली एक्सप्रेस” कहा जाता है
- उपलब्धियाँ:
- 1984 लॉस एंजेलेस ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ के फ़ाइनल में पहुँचीं
- एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण और 1 रजत पदक (1986, सियोल)
- 100+ अंतरराष्ट्रीय पदक
- सम्मान: पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार
🏊♀️ (ख) आरती साहा – “जलपरी”
- जन्म: 24 सितम्बर 1940, कोलकाता
- विशेषता: इंग्लिश चैनल पार करने वाली एशिया की पहली महिला तैराक
- उपलब्धियाँ:
- 29 सितम्बर 1959 को इंग्लिश चैनल पार किया (42 मील, 16 घंटे 20 मिनट में)
- 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व
- सम्मान:
- 1960 में पद्म श्री पाने वाली पहली महिला खिलाड़ी
- 1999 में भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक टिकट जारी
👮♀️ (ग) किरण बेदी – “भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी”
- जन्म: 9 जून 1949, अमृतसर
- विशेषता: 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली पहली महिला
- उपलब्धियाँ:
- तिहाड़ जेल में सुधारात्मक कार्य
- संयुक्त राष्ट्र में पुलिस सलाहकार
- अन्ना हज़ारे के साथ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में सक्रिय
- सम्मान:
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1994)
- राष्ट्रपति पुलिस पदक
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